प्रसिद्ध कश्मीरी लेखिका पद्मा सचदेव को साहित्य क्षेत्र के वर्ष 2015 के प्रतिष्ठित सरस्वती सम्मान (25वां) हेतु चुना गया.
यह पुरस्कार के. के. बीड़ला फाउन्डेशन के द्वारा साहित्य क्षेत्र में दिया जाता हैं.
पद्मा सचदेव को यह पुरस्कार डोगरी भाषा में 2007 में रचित उनकी आत्मकथा ‘चित्त-चेते’ (Chitt-Chete) के लिए दिया गया है.
यह 25वे पुरस्कार में उन्हे प्रशस्ति पत्र के साथ रु. 15 लाख की राशी प्रदान की जाएगी.
सरस्वती सम्मान: साहित्य क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान.
के. के. बिडला फाउन्डेशन द्वारा अन्य पुरस्कारो में व्यास सम्मान एवं बिहारी पुरस्कार भी शामिल है.
यह पुरस्कार भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल किसी भी भारतीय भाषा में विगत 10 वर्षो में पहली बार प्रकाशित किसी उत्कृष्ठ रचना के लिए दिया जाता है.
प्रथम सरस्वती सम्मान वर्ष 1991 में हरिवंश राय बच्चन को उनकी आत्मकथा के लिए दिया गया था.
वर्ष 2014 का सरस्वती सम्मान कन्नड साहित्यकार वीरप्पा मोइली (पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कर्णाटक के पूर्व मुख्यमंत्री) को उनकी रचना / महाकाव्य रामायण महाअन्वेषण के लिए दिया गया था.
पद्मा सचदेव को वर्ष 1971 में उनकी रचना ‘मेरी कविता मेरे गीत’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया था.
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